कुख्यात संजीव जीवा की हत्या पुलिस की लापरवाही या साजिश
आदेश के बावजूद नहीं पहनाया बुलेट प्रूफ जैकेट, सुरक्षा में भी मौजूद रहे सिर्फ चौथाई पुलिस कर्मी
लखनऊ। लखनऊ के सिविल कोर्ट में एससी एसटी कोर्ट रूम में सुनवाई के दौरान वेस्ट यूपी के कुख्यात संजीव जीवा की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड को भी माफिया अतीक अहमद और अशरफ अहमद हत्याकांड की तरह अंजाम दिया गया। फर्क सिर्फ इतना था कि अतीक और अशरफ की हत्या प्रयागराज कॉल्विन हॉस्पिटल के सामने पत्रकार बनकर आए तीन हमलावरों ने की थी जबकि लखनऊ सिविल कोर्ट में जीवा की हत्या अधिवक्ता के वेश में आए आरोपी ने की। सिविल कोर्ट रूम में फायरिंग और हत्या न सिर्फ लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के मुंह पर तमाचा है बल्कि इस हत्याकांड के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि यह पुलिस की लापरवाही है या साजिश? क्योंकि अपराधी जीवा को बुलेट प्रूफ जैकेट पहना कर लाने के आदेश थे लेकिन उसे ना तो जैकेट पहनाया गया बल्कि सुरक्षा में भी कटौती की गई सिर्फ खानापूर्ति भर के पुलिसकर्मी उसके साथ थे। ऐसे में लखनऊ पुलिस ही अपनी कार्यशैली में उलझती नजर आ रही है।
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पूर्व माफिया अतीक अहमद और अशरफ अहमद की तर्ज पर बुधवार को लखनऊ सिविल कोर्ट में वेस्ट यूपी के कुख्यात माफिया संजीव जीवा की एससी/एसटी कोर्ट रूम में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। प्रदेश में जिस तरह से माफियाओं की हत्याओं का सिलसिला पुलिस अभिरक्षा में शुरू हुआ है उससे आम आदमी के जेहन में पुलिस की कार्यशैली के प्रति सवाल उठने लगे हैं। घटनाओं के पीछे लापरवाही और साजिश की भी बू आ रही है। जीवा की गोली मारकर हत्या करने वाले आनंद उर्फ विजय यादव की जीवा से कोई दुश्मनी नहीं थी ऐसे में उसने जीवा की हत्या क्यों की यह सवाल सभी को साल रहा है। क्या करवाने वाला कौन है इसका खुलासा कर पाने में अगर पुलिस नाकाम रहती है तो पुलिस के इकबाल पर उठ रहे सवालों की फेहरिष्त बढ़ती जाएगी।
फिलहाल हत्यारोपी पुलिस की गिरफ्त में पुलिस जांच पड़ताल में भी जुटी हुई है लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि आदेश के बावजूद वेस्ट यूपी के कुख्यात संजीव जीवा को बुलेट प्रूफ जैकेट पहना कर पुलिस कोर्ट क्यों नहीं लाई, इसके साथ ही हर बार जीवा को बड़ी गाड़ी से कोर्ट पेशी पर लाया जाता था 25 से 30 पुलिसकर्मी होते थे लेकिन दो बार से सुरक्षा में लापरवाही क्यों बरती जा रही थी। ये ऐसे सवाल हैं जो पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं। यही दो सवाल ऐसे हैं जो यह कहने पर मजबूर करते हैं कि जीवा हत्याकांड की घटना लापरवाही थी या साजिश।
हालांकि जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी 2 वर्ष पूर्व ही पेशी के दौरान पति की हत्या किए जाने की आशंका जता चुकी थी। इस आशंका को जताते हुए पत्नी पायल माहेश्वरी ने चीफ जस्टिस आफ इंडिया को पत्र लिखकर पति संजीव जीवा की सुरक्षा की गुहार लगाई थी। माना जा रहा है कि इसी पत्र के बाद जीवा को पेशी पर बुलेट प्रूफ जैकेट पहनाने के आदेश हुए थे लेकिन उस आदेश को धता बताकर बिना बुलेट प्रूफ जैकेट के बुधवार को जीवा को कोर्ट पर ले जाया गया और उसकी हत्या कर दी गई।
जीवा के कातिल आनंद पर दर्ज हैं सिर्फ दो मुकदमे
जीवा के कातिल का असली नाम आनंद यादव है। आनंद यादव के विरुद्ध वर्ष 2020 में कोविड-19 उल्लंघन का केस दर्ज हुआ था।जबकि वर्ष 2016 देवगांव आजमगढ़ में लड़की को भगाने का केस दर्ज हुआ था हालांकि बाद में इस मामले में सुलह समझौता हो गया था।
तीन सदस्यीय एसआईटी करेगी मामले की जांच
संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा हत्याकांड की जांच के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने SIT गठित करने का आदेश दिया है। तीन सदस्यीय SIT में मोहित अग्रवाल ADG टेकनिकल सर्विसेज, ज्वाइंट CP LKO नीलब्ज़ा चौधरी और आईजी अयोध्या प्रवीण कुमार, SIT के सदस्य होंगे। SIT को एक सप्ताह में जाँच पूरी करने के निर्देश दिये गए हैं।
अधिवक्ता हैं चश्मदीद
लखनऊ सिविल कोर्ट के sc-st कोर्ट रूम में कुख्यात संजीव जीवा की हत्या के मामले में अधिवक्ता प्रखर मिश्रा ऋषि चश्मदीद गवाह हैं। इस मामले में पुलिस ने ड्यूटी पर तैनात दरोगा की तहरीर पर केस दर्ज किया है।
SDG क़ानून व्यवस्था प्रशांत कुमार का बयान
बुधवार दोपहर करीब 3:55 बजे गैंगस्टर संजीव उर्फ जीवा लखनऊ सिविल कोर्ट में पेशी के लिए जा रहा था, जैसे ही वह कोर्ट पहुंचा, वकील के वेश में आए एक व्यक्ति ने उस पर गोली चला दी, जिसमें जीवा, 2 पुलिस कांस्टेबल और 1.5 साल की बच्ची घायल हो गई। इलाज के दौरान संजीव उर्फ जीवा की मौत हो गई। पुलिस कांस्टेबल और लड़की दोनों स्थिर हैं और उनका इलाज चल रहा है। फायरिंग करने वाले शख्स को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया है।
सभी जिला कोर्ट में तत्काल सुरक्षा बढ़ाएं
लखनऊ सिविल कोर्ट रुम मर्डर के बाद DGP विजय कुमार के सख्त आदेश सुरक्षा को लेकर हैं, उन्होंने सभी जिला कोर्ट में तत्काल सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दिए हैं। डीजीपी विजय कुमार ने सभी जिलों में आदेश जारी किया है कि कोर्ट परिसर में संदिग्धों की चेकिंग के लिए पुलिस मेटल डिटेक्टर और दूसरे उपकरण भी लगाए।सभी बार एसोसिएशन से समन्वय स्थापित कर सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखें।
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