जिस ज्ञानवापी को कुछ लोग मस्जिद कहते हैं वह ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ जी ही हैं – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नाथपंथ की परंपरा के अमिट चिह्न सिर्फ देश के हर कोने में ही नहीं हैं बल्कि विदेशों में भी हैं।
दिनेश चन्द्र मिश्र, विशेष संवाददाता : tv9भारत समाचार : गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी गोरखपुर विश्वविद्यालय और हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का अवदान’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन किया गया।
यह भी पढ़ें :पीएम नरेंद्र मोदी की कश्मीर यात्रा से पहले धड़ाधड़ एनकाउंटर, अब तक कई आतंकी ढेर
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि में मुख्यमंत्री एवं नाथपंथ की अध्यक्षीय पीठ, गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने संतों और ऋषियों की परंपरा को समाज और देश को जोड़ने वाली परंपरा बताते हुए आदि शंकर का विस्तार से उल्लेख किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश के चारों कोनों में आध्यात्मिक पीठों की स्थापना करने वाले आदि शंकर की काशी में की गई साधना के समय भगवान विश्वनाथ द्वारा ली गई परीक्षा के एक उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से आज जिस ज्ञानवापी को कुछ लोग मस्जिद कहते हैं वह ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ जी ही हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नाथपंथ की परंपरा से जुड़े चिह्नों के संरक्षण और उसे एक म्यूजियम के रूप में संग्रहित करने की आवश्यकता है विश्वविद्यालय के महायोगी गुरु गोरखनाथ शोधपीठ इस दिशा में पहल कर सकता है। उन्होंने शोधपीठ से अपील की कि वह नाथपंथ की इनसाइक्लोपीडिया में नाथपंथ से जुड़े सभी पहलुओं, नाथ योगियों के चिह्नों को इकट्ठा करने का प्रयास करें।
यहां गोरखनाथ जी से जुड़े अनेक साधना स्थल और नाथपंथ की परंपराएं आज भी विद्यमान हैं। कर्नाटक की परंपरा में जिस मंजूनाथ का उल्लेख आता है, वह मंजूनाथ गोरखनाथ जी ही हैं। महाराष्ट्र में संत ज्ञानेश्वर दास की परंपरा भी मत्स्येंद्रनाथ जी, गोरखनाथ जी और निवृत्तिनाथ जी की कड़ी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नाथपंथ की परंपरा के अमिट चिह्न सिर्फ देश के हर कोने में ही नहीं हैं बल्कि विदेशों में भी हैं। उन्होंने अयोध्या में गत दिनों तमिलनाडु के एक प्रमुख संत से हुई मुलाकात का उल्लेख करते हुए बताया कि उक्त संत से उन्हें तमिलनाडु के सुदूर क्षेत्रों की नाथपंथ की पांडुलिपियां प्राप्त हुई हैं।
महाराष्ट्र में रामचरितमानस की तर्ज पर नवनाथों की पाठ की परंपरा है। पंजाब, सिंध, त्रिपुरा, असम, बंगाल आदि राज्यो के साथ ही समूचे वृहत्तर भारत और नेपाल, बांग्लादेश, तिब्बत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान समेत अनेक देशों में नाथपंथ का विस्तार देखने को मिलेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी लोगों को राजभाषा हिंदी दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हिंदी देश को जोड़ने की एक व्यावहारिक भाषा है। इसका मूल देववाणी संस्कृत है। मुख्यमंत्री ने भारतेंदु हरिश्चंद्र के ‘निज भाषा उन्नति’ वाले उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र का भाषा के प्रति यह भाव आज भी आकर्षित करता है।
’नाथपंथ का इतिहास’, ‘नाथपंथ की प्रवेशिका’ और ‘कुंडलिनी’ पत्रिका का विमोचन किया मुख्यमंत्री ने
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डॉ. पद्मजा सिंह द्वारा रचित पुस्तक ‘नाथपंथ का इतिहास’, अरुण कुमार त्रिपाठी की पुस्तक ‘नाथपंथ की प्रवेशिका’ तथा महायोगी गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ की अर्धवार्षिक पत्रिका ‘कुंडलिनी’ का विमोचन किया। नाथपंथ का इतिहास पुस्तक नाथपंथ के आभिर्भाव से लेकर अद्यतन काल तक के इतिहास का शोधपरक विवेचन है।
जबकि कुंडलिनी पत्रिका में नाथपंथ के प्रति शोध और स्वास्थ्य जैसे विषयों पर लेख संकलित हैं। साथ ही सीएम ने दीक्षा भवन की गैलरी में लगी पुस्तक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
दिव्यांगजन कैंटीन का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में दिव्यांगजन कैंटीन का भी शुभारंभ किया। इस कैंटीन का संचालन दिव्यांगजन द्वारा किया जाएगा। कैंटीन का उद्घाटन करने के बाद सीएम योगी ने इसका संचालन करने वालों का मनोबल बढ़ाया।
यह भी पढ़ें :पीएम नरेंद्र मोदी की कश्मीर यात्रा से पहले धड़ाधड़ एनकाउंटर, अब तक कई आतंकी ढेर